वसंतराव नाइक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप माननीय प्रा. डॉ. इंद्र मणि को 25 जुलाई, 2023 में एक वर्ष पूरा हुए । देश और राज्य के विकास के कृषि और किसान एक आधारस्तंभ हैं इस सोच के साथ उन्होंने अपने पहले भाषण में 'किसान देवो भव:' की भावना के साथ काम करने का संकल्प व्यक्त किया । विश्वविद्यालय अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है, इस में विश्वविद्यालय के पचास फीसदी पदे रिक्त है । उपलब्ध मानव संसाधन एवं संसाधनों का कुशल उपयोग करते हुए कुलपति मा डॉ. इन्द्र मणि के नेतृत्व में विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार शिक्षा तीनों क्षेत्रों में जोरशोर से कार्य कर रहा है।
लक्ष बीज उत्पादन दोगुना करने का
विश्वविद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों के किस्मों की बीच की किसानों के काफी मांग है, जिनमें सोयाबीन, अरहर, ज्वार आदि की किस्में किसानों द्वारा विशेष रूप से पसंद की जाती हैं। स्थापना के बाद से ही विश्वविद्यालय के मध्यवर्ती प्रक्षेत्र में 1972 से 2001 तक बीज उत्पादन किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से निधी और मजुरों की कमी के कारण इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्से को खेती के दायरे में लाने में कठिनाइयाँ पैदा होने लगीं। इस वर्ष कुलगुरू मा डॉ. इंद्र मणि ने विश्वविद्यालय के बीज उत्पादन को दोगुना करने के उद्देश्य से मध्यवर्ती प्रक्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान दिया। बीज उत्पादन के अंतर्गत अधिकतम क्षेत्र लाने के उपायों पर मंथन किया गया। यहा के 1250 बंजर, और असमतल भूमि को बुयाई के लिए तयार किया गया । इसके लिए विश्वविद्यालय की विभिन्न परियोजनाओं एवं योजनाओं के ट्रैक्टर, आवश्यक उपकरण, जेसीबी का उपयोग किया गया । खरीफ मौसम के दौरान इस भुमी को उत्पादक बीज उत्पादन के दायरे में लाया गया । इसके अलावा, मराठवाड़ा में विश्वविद्यालय परिसर और विश्वविद्यालय के उप-परिसर में 300 एकड़ जमीन को बुयाई के लिए तयार किया गया और इसमें से 250 एकड़ जमीन पर स्मार्ट कृषि परियोजना स्थापित की जाएगी। याने इस साल 1550 एकर जमीन बयाई के दायारे में लाई गयी ।
साथ ही, विश्वविद्यालय क्षेत्र में चार नये बड़ी क्षमता वाले तलाब (Farm pond) का निर्माण किया गया है और पुराने बड़े दो तलाब की मरम्मत की गई है, इससे 8-9 करोड़ लीटर पानी की भंडारण क्षमता संभव होगी। इससे बीज उत्पादन के लिए संरक्षित सिंचाई संभव हो सकेगी। इससे विश्वविद्यालय परिसर में बड़े पैमाने पर प्रजनन बीज उत्पादन को मदत होगी । इस द्वारा विकसित किस्मों के अधिक से अधिक बीज किसानों को उपलब्ध हो सकेंगे। बीज उत्पादन के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी एवं मजदूर कड़ी मेहनत कर रहे हैं तथा माननीय कुलपति समय-समय पर क्षेत्र का दौरा कर उन्हें प्रोत्साहित करते हैं।
देश-विदेश की विभिन्न अग्रगण्य संस्थाओं से समझौता (MoU)
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और छात्रों को राष्ट्रीय
और वैश्विक स्तर पर कृषि के क्षेत्र में कृषी अनुसंधान, शिक्षा और कौशल्य
विकास के लिए विभिन्न देश-विदेश की नामांकित संस्थाओं के साथ समझौता कियें गयें।
। माननीय कुलगुरू का मानना है की कृषि विकास और किसानों के कल्याण के लिए सभी
सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम करना होगा।
कैनसस स्टेट युनिवर्सिटी और फ्लोरिडा युनिवर्सिटी के साथ समझौता : कृषि शिक्षा और अनुसंधान के लिए विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों, कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी, फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के साथ समझौता किया गया है और इससे कृषि प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और छात्रों के कौशल का विकास के लिए मदत मिलेगी।
सीएनएच इंडस्ट्रियल इंडिया (न्यू हॉलैंड) के साथ समझौता : देश में कृषि मशीनीकरण में अग्रणी नोएडा स्थित सीएनएच इंडस्ट्रियल इंडिया (न्यू हॉलैंड) के साथ समझौता पर हस्ताक्षर किए गए हैं । इस में "कौशल विकास-कृषि मशीनीकरण प्रशिक्षण" परियोजना के तहत किसानों और ग्रामीण युवाओं को कृषि मशीनीकरण में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस उद्देश्य के लिए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड से 50 लाख रुपये प्राप्त हुआ हैं। परियोजना के तहत कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज प्रशिक्षण का मुख्य केंद्र होगा और खामगांव, औरंगाबाद, तुलजापुर और जालना में कृषि विज्ञान केंद्र के उप-केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। इस दौरान 1500 किसानों, तकनीशियनों और ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और प्रशिक्षुओं को 'आत्मनिर्भर भारत मिशन' के तहत अपने स्वयं के उद्योग/सेवा केंद्र शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। औरंगाबाद के कृषि विज्ञान केंद्र में एक उपकेंद्र का उद्घाटन किया गया और तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
टैफे – जेफार्म के साथ समझौता
: ट्रैक्टर
आधारित कृषि मशीनीकरण के लिए टैफे जे-फार्म (TAFE – Jfarm) कंपनी के साथ
समझौता हुआ है, इसके माध्यम से जे फार्म - मशीनीकरण केंद्र (महाराष्ट्र) शुरू किया गयी है। विश्वविद्यालय में आधुनिक
वर्कशॉप के माध्यम से किसानों एवं विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करणे का उद्देश्य
है । इसके लिए टैफे कंपनी ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड से 2.50
करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
कुलगुरू
डॉ. इंद्र मणि के नेतृत्व में कॉर्पोरेट क्षेत्र से कॉर्पोरेट सामाजिक
उत्तरदायित्व निधि प्राप्त करने में विश्वविद्यालय ने आघाडी ली है। नई राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 2020 इस में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि को प्राथमिकता दी गई
है।
कृषि में फोटोवोल्टिक तकनीक के उपयोग के लिए जर्मनी की जीआईजेड कंपनी के साथ समझौता : विश्वविद्यालय ने कृषि में फोटोवोल्टिक तकनीक के उपयोग के लिए जर्मनी की जीआईजेड कंपनी के साथ समझौता किया है। एग्रीपीवी तकनीक के माध्यम से सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ विभिन्न फसलों की खेती करके किसान दोगुनी आय अर्जित करने का साधन प्राप्त कर सकते हैं। यह तकनीक भारत के लिए नई है और मराठवाड़ा में फसल के लिए यह तकनीक कितनी उपयोगी हो सकती है, इस पर शोध करने के लिए परभणी कृषि विश्वविद्यालय ने राज्य में पहल की है।
राजीव गांधी विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग के साथ समझौता : अनुसंधान के लिए राजीव गांधी विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं और इसके माध्यम से विश्वविद्यालय को छात्रों के अनुसंधान के लिए 50 लाख रुपये का फंड प्राप्त हुआ है। कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में उन युवाओं के अभिनव विचार को बढावा देने इसका उद्देश्य ।
किसानों को सटीक मौसम
पूर्वानुमान और ठोस कृषि सलाह प्रदान करने लिए इसरो के साथ समझौता : तालुकों में किसानों को सटीक मौसम पूर्वानुमान और ठोस कृषि
सलाह प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालयाने अहमदाबाद स्थित भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के साथ समझौता किए हैं। कृषि के
क्षेत्र में अंतरिक्ष विज्ञान का बड़ा उपयोग होगा और अहमदाबाद अंतरिक्ष अनुप्रयोग
केंद्र के माध्यम से परभणी कृषि विश्वविद्यालय में एक अनुसंधान केंद्र स्थापित
करने का प्रयास किया जा रहा है।
भाकृअप- केन्द्रीय कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (ICAR-CIPHET) के साथ समझौता : लुधियाना स्थित भाकृअप- केन्द्रीय कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (ICAR-CIPHET) के साथ समझौता किया गया हैं। इस समझौते के माध्यम से दोनों संस्थानों के स्नातकोत्तर और आचार्य डिग्री के छात्रों के लिए प्रशिक्षण और अनुसंधान, अध्ययन दौरे आदि के लिए लाथ होगा। कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर जोर दिया जाएगा, जो फसल कटाई के बाद फसलों को होने वाले नुकसान को कम करें।
भाकृअनुप- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के साथ समझौता : गन्ने में प्रशिक्षण और गुणवत्तापूर्ण स्नातकोत्तर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के साथ समझौता किया गया है। जिससे दीर्घकालिक रूप से गन्ना अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
भाकृअनुप- राष्ट्रीय मृदा
सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्युरो के साथ समझौता : पूरे
मराठवाड़ा के लिए डिजिटल मिट्टी मानचित्र तैयार करने और किसानों को मिट्टी के
प्रकार के अनुसार फसलों का चयन करने में मदद करने के लिए नागपुर स्थित भाकृअनुप-
राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्युरो के साथ समझौता किया गया
है।
इसके
अलावा सेंट्रल कॉटन टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट, मुंबई,
ग्लोबल डेवलपमेंट ट्रस्ट, माहिको लिमिटेड,
पानी फाउंडेशन, रिलायंस फाउंडेशन, एड्राइज इंडिया, दुर्गा एग्रो वर्क्स, मे. एक्वेटिक रेमेडीज़ लिमिटेड मुम्बई आदि से सामाजिक समझौते किये गये
हैं। कृषि विकास के लिए सरकार, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विभाग, सरकारी संगठनों, गैर-सरकारी
संगठनों, कृषि क्षेत्र की निजी कंपनियों और किसान भाइयों के
साथ मिलकर काम करने का माननीय कुलगुरू प्रयास कर रहे हैं।
डिजिटल कृषि एवं कृषि
ड्रोन प्रौद्योगिकी के विकास हेतु विश्वविद्यालय के विशेष प्रयास
कृषि क्षेत्र में विभिन्न कार्यों को लिए ड्रोन का उपयोग होणेवाला है। विभिन्न फसलों में कीट और रोग प्रबंधन, पोषक तत्व प्रबंधन, जल प्रबंधन, क्षेत्र सूचना संग्रह के लिए ड्रोन का उपयोग करने का प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय और आयोटेक वर्ल्ड एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के बीच विश्वविद्यालय में आधिकारिक ड्रोन पायलट प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए । वर्तमान में विश्वविद्यालयाने अच्छी गुणवत्ता वाले चार ड्रोन खरेदी हैं, इसका उपयोग ड्रोन प्रदर्शन आयोजित किये जा रहे हैं। ड्रोन तकनीकी लाभ किसानों होने के लिए विश्वविद्यालय में ड्रोन केंद्र (कस्टम हायरिंग सेंटर) स्थापित किया जाएगा । हालीमें कुलगुरू मा इन्द्र मणि की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर की समिति ने विभिन्न फसलों में ड्रोन के उपयोग के सुरक्षित और कुशल उपयोग पर एसओपी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, और इसे हाल ही में केंद्रीय कृषि, एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रकाशित किया गया है।
नाहेप परियोजना के तहत विश्वविद्यालयाने दो ग्राफ्टिंग रोबोट खरीदी की हैं, इससे कम समय और मेहनत से उच्च स्तरो वनस्पती ग्राफ्टिंग कर सकते है । यह सुविधा किसानों को भी उपलब्ध करायी जायेगी। डिजिटल खेती तकनीक पर एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स सुरू करणे किए विश्वविद्यालय ने तयार कि है।
विश्वविद्यालय का छात्रों, शिक्षकों
और वैज्ञानिकों के कौशल विकास पर जोर
नाहेप परियोजना के तहत, प्रौद्योगिकी के कौशल विकास के लिए देश - विदेश के अग्रणी संस्थानों के विश्वविद्यालय के छात्रों, प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण और अध्ययन दौरे पर भेजा गया । विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों ने अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में डिजिटल प्रौद्योगिकी पर प्रशिक्षण पूरा किया, जबकि विश्वविद्यालय के 26 छात्रों और एक प्रोफेसर ने थाईलैंड में एशियाई प्रौद्योगिकी संस्थान में और स्पेन प्रशिक्षण पूरा किया ।जल्द ही छात्रों की एक और बैच को विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों में भेजने की प्रक्रिया चल रही है। इस तरह विश्वविद्यालय के इतिहास में छात्रों और प्रोफेसरों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने का यह पहला मौका है। विश्वविद्यालय के 60 छात्रों ने आईआईटी खड़गपुर और मुंबई में अपना प्रशिक्षण पूरा किया है और माननीय कुलगुरू हमेशा छात्रों, प्रोफेसरों और संशोधक को देश के अग्रणी संस्थानों में आयोजित विभिन्न सम्मेलनों, कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
विश्वविद्यालय नये किस्में और विभिन्न प्रौद्योगिकी विकास
केंद्रीय बीज अधिनियम, 1966 के अनुसार भारत सरकार ने विश्वविद्यालय व्दारा विकसित करडाई की किस्म पीबीएनएस 184, पीबीएनएस-154 (परभणी सुवर्णा), देसी कपास की पीए 837, खरीफ ज्वार की परभणी शक्ति, तुअर किस्म बीडीएन-2013-2 (रेणुका), सोयाबीन की एमएयूएस-725 किस्म को देश के राजपत्र में शामिल किया गया। इससे बड़े पैमाने पर इन किस्मों के प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी।
डॉ. बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विश्वविद्यालय, दापोली में आयोजित संयुक्त कृषि अनुसंधान एवं विकास बैठक में वनामकृ विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सोयाबीन किस्म MAUS-731 सहित 42 विभिन्न प्रौद्योगिकी सिफारिशों को मंजूरी दी गई। राहुरी स्थित महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित संयुक्त कृषि अनुसंधान और विकास बैठक में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित छह किस्मों, तीन कृषि उपकरणों सहित 36 विभिन्न प्रौद्योगिकी सिफारिशों को मंजूरी दी गई है।
माझा एक दिवस माझ्या
बळीराजासाठी उपक्रम (मेरी एक दिन,
मेरे बलिराजा के लिए)
कृषि प्रौद्योगिकी को किसानों तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, इस गतिविधियां दायरा और गति बढ़ाने के भी प्रयास किये जा रहे हैं। सितंबर 2022 में, महाराष्ट्र सरकार के मार्गदर्शन के अनुसार, मराठवाड़ा विभाग के 350 से अधिक गांवों में " माझा एक दिवस माझ्या बळीराजासाठी " उपक्रम संचालित गया था, जिसमें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीमों ने 1 सिंतबर का पुरा दिन किसानों के साथ गावं में बिताया और किसानों की कृषि समस्याओं को समझा। उन्हें फसल खेती तकनीक के बारे में मार्गदर्शन किया। इससे किसानों के साथ विश्वविद्यालय का रिश्ता मजबूत बनाने में मदद मिल रही है। इस पहल के तहत माननीय कुलगुरू स्वयं मराठवाड़ा के विभिन्न गांवों में कार्यक्रम मे संम्मिलीत हो के किसानों का मार्गदर्शन किया । हर माह मे एक दिन यह उपक्रम समुच्च मराठवाडा विभाग में चारी रहेंगी, असे माननीय कुलगुरू के निर्देश है।
विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कई किस्में और प्रौद्योगिकियां न केवल मराठवाड़ा विभाग या राज्य के लिए ही उपयुक्त हैं, बल्कि देश के कई राज्यों के किसानों भाई के लिए भी उपयोगी हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कृषि प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बैलचालित कृषि उपकरण किसानों के आकर्षण का केंद्र बने। विश्वविद्यालय की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना - पशुशक्ति का समुचित उपयोग योजना व्दारा रानी सावरगांव की श्री. छत्रपति शिवाजी महाराज गौशाला संस्था के व्दारा कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की है। जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बैलचालित उपकरण किसानों के लिए उपलब्ध कराये हैं और क्षेत्र के किसान इसका लाभ उठा रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय
पोषक अनाज वर्ष में विश्वविद्यालय की मुख्य भुमिका
वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया है और विश्वविद्यालय इस में विश्वविद्यालय की भुमिका अहम रहेंगी । परभणी कृषि विश्वविद्यालयाने बाजरा और ज्वार फसलों की कई अच्छी किस्में विकसित की हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से मानव आहार में मोटे अनाजों के उपयोग को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा साल भर जनजागरूकता हेतु विभिन्न गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं तथा विश्वविद्यालय मोटे अनाजों के मूल्य में वृद्धि करने पर भी कार्य कर रहा है। इसमें ज्वारी और बाजरी फसलों की कई किस्मों के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया जा रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा विकसित ज्वार की देश की पहली जैव-समृद्ध किस्म ‘परभणी शक्ति’ और बाजरा की जैव-समृद्ध किस्में एएचबी 1200 और एएचबी 1269 किसानों के लिए उपयोगी होंगी, जिनमें अन्य किस्मों की तुलना में लौह और जस्त की मात्रा अधिक होती है। इसके जरिए महिलाओं में एनीमिया, आयरन की कमी को दूर करना संभव हो सकता है।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की पीएमएफएमई योजना के तहत अन्न तंत्रज्ञान कॉलेज में कॉमन इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने का कार्य अंतिम चरण में है, इससे खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी किसानों को लाभ होगा।
सम्मान एवं पुरस्कार द्वारा प्रोत्साहन
कुलगुरू मा डॉ. इन्द्र मणि
के एक वर्ष के कार्यकाल में विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र, वैज्ञानिकों
और किसानों को अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर
सम्मानित किया गया । ग्रीन मेंटर्स एसोसिएशन के प्रतिष्ठित इंटरनेशनल ग्रीन
यूनिवर्सिटी अवार्ड 2023 कृषि विश्वविद्यालय को घोषत की गई है । उक्त पुरस्कार 15
सितंबर, 2023 को न्यूयॉर्क में आयोजित 7वें एनवाईसी ग्रीन
स्कूल सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अवसर पर प्रदान किया
जाएगा।
अमेरिका के फ्लोरिडा
विश्वविद्यालय में मुख्यालय वाले प्रमुख वैज्ञानिक संगठन इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ
एग्रीकल्चरल एंड बायोसिस्टम्स इंजीनियरिंग के फेलो के विश्वविद्यालय के कुलगुरू डॉ.
इन्द्र मणि को रूप में चुना गया है। यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है । उन्हें
जापान के क्योटो में आयोजित 20वें सीआईजीआर विश्व सम्मेलन में फेलो के रूप में
अकादमी की ओर से सम्मानित किया गया।
विश्वविद्यालय के अंतर्गत
लातूर के अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान (सुरजमुख) परियोजना और औरंगाबाद में बाजरा
अनुसंधान परियोजना को उत्कृष्टता केंद्र का पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
विश्वविद्यालय के जैविक खेती अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र को जैविक खेती
अनुसंधान और संवर्धन तथा जैविक खेती में योगदान के लिए सरकारी संस्थानों की श्रेणी
से जैविक भारत पुरस्कार-2022 प्राप्त हुआ है।
कृषि विज्ञानी डॉ. खिजर बेग
और डॉ. दीपक पाटिल को राज्य सरकार द्वारा उत्कृष्ट कृषि शोधकर्ता पुरस्कार से
सम्मानित किया गया, जबकि विश्वविद्यालय के सोयाबीन ब्रीडर डॉ. शिवाजी
म्हेत्रे को वसंतराव नाइक स्मृति प्रतिष्ठान पुसद द्वारा उत्कृष्ट कृषि वैज्ञानिक
पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कृषि अभियंता डॉ. स्मिता सोलंकी को विश्वविद्यालय
स्तर पर उत्कृष्ट महिला वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया गया । इस तरह सम्मान
से विश्वविद्यायल के वैज्ञानिक और छात्र को प्रोत्साहित करणे का माननीय कुलगुरू
का हर तरह प्रयास रहता है।
प्रगतिशील किसानों, कृषि उद्यमियों का सम्मान
यही नहीं युवा और प्रयोगधर्मी किसानों को सम्मान करने का एक भी मौका माननीय कुलगुरू नहीं छोडते।
विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विभिन्न स्तरों पर
किसानों, कृषि उद्यमियों, कृषि वैज्ञानिकों को सम्मानित और
प्रोत्साहित किया जा रहा है। माननीय कुलगुरू का आग्रह है कि किसी भी सभा एवं
कार्यशाला में किसानों एवं महिला प्रतिनिधियों को सम्मानपूर्वक मंच पर स्थान दिया
जाये।
कपास की खेती में नई तकनीक विकसित करने वाले मा श्री दादा लाड और युवा प्रयोगधर्मी किसान श्री दत्तात्रेय कदम को विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित किया गया। भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद की ओर से, मौजे मुरुड के तिलहन किसान श्री संजय नाडे और लातूर जिले के मौजे चौर के अलसी किसान श्री अशोक चिन्ते को वनस्पति तेल पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दामपुरी और परभणी के प्रगतिशील किसान श्री अशोक सालगोडे को केंद्रीय शुष्कभूमि कृषि संस्थान, हैद्राबाद - क्रीड़ा को 39वें स्थापना दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
छात्रों के सर्वांगीण विकास का आग्रह
कुलगुरू मा डॉ. इन्द्र मणि
छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ कला एवं सांस्कृतिक प्रतिभा के सर्वांगीण विकास के
लिए प्रोत्साहित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते । छात्रों को आ लिए समय-समय पर
सांस्कृतिक मंच उपलब्ध कराये जा रहे हैं । जैन यूनिवर्सिटी, बैंगलोर
में 36वें इंटर यूनिवर्सिटी नेशनल यूथ फेस्टिवल - जैन फेस्टिवल 2023 में, सिद्धि देसाई ने यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, लातूर के छात्रों द्वारा मेंहदी कला श्रेणी में कांस्य पदक जीता। जबकि
आईसीएआर एग्री यूनीफेस्ट में फाइन आर्ट में चैपियन ट्रॉफी प्राप्त की। 21वीं अखिल
भारतीय अंतर कृषि विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय की टीम ने वॉलीबॉल
में स्वर्ण पदक जीता।
पायाभुत सुविधायों का नुतनीकरण
माननीय कुलगुरू कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को अच्छे
छात्रावास की सुविधा उपलब्ध कराने पर सदैव बल देते रहे हैं। वर्तमान में इस
छात्रावास का नुतनीकरण का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। न केवल परभणी मुख्यालय
बल्कि गोलेगांव, लातूर, बदनापुर के छात्रावासों का भी नवीनीकरण किया जा रहा है। गेस्ट हाउस सुविधा, प्रयोगशाला का
सुदृढ़ीकरण कार्य कीया जा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति वेतन
के मुद्दे को तत्परता से हाल करके उन्हें उनका अधिकार दिलाया।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन पूरे देश
में प्रारंभ हो चुका है तथा कृषि विश्वविद्यालय में उक्त नीति को प्रभावी ढंग से
लागू करने हेतु माननीय कुलगुरू के मार्गदर्शन में विभिन्न स्तरों पर कार्य चल रहा
है। इसमें ऑनलाइन एजुकेशन मैनेजमेंट सिस्टम, एकेडमिक बैंक ऑफ
क्रेडिट, डिजिलॉकर, ब्लेंडेड लर्निंग आदि गतिविधियां पहल की गई हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने इस वर्ष अनुसंधान परियोजनाओं के लिए
25 करोड़ का अनुदान दिया है और सिल्लोड तालुका के मौजे कोटनांद्रा और डोइफोडा में
मक्का अनुसंधान केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी है। किसानों के लिए उपयोगी अनुसंधान
करना विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य है और बदलते जलवायु के अनुरूप अनुसंधान को
गति देने का कार्य माननीय कुलगुरू के नेतृत्व में चल रहा है। वर्तमान समय में जब
मानव संसाधन के मामले में पचास प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं, ऐसे में विश्वविद्यालय
के समक्ष राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय का स्तर ऊंचा उठाने की बड़ी चुनौती है। राष्ट्रीय
स्तर पर विभिन्न संगठनों से निधी प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में अनुसंधान परियोजनाएँ
प्रस्तुत की गई हैं, क्योंकि विश्वविद्यालय का मानांकन बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण शोध की
आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय उच्च गुणवत्ता वाले शोध लेखों की संख्या बढ़ाने पर जोर
दिया गया है। आशा है कि माननीय कुलगुरू डॉ. इन्द्र मणि के नेतृत्व में, परभणी कृषि
विश्वविद्यालय भारी बदलाव से गुजरेगा और देश के अग्रणी कृषि विश्वविद्यालयों में
से एक बन जाएगा।
डॉ प्रविण कापसेे, जनसंपर्क अधिकारी
वसंतराव नाईक मराठवाडा कृषि
विद्यापीठ,
परभणी
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