कार्यक्रम में सार्वजनिक आरोग्य एवं परिवार कल्याण, ऊर्जा, महिला एवं बाल विकास, सार्वजनिक निर्माण राज्यमंत्री तथा परभणी जिले की पालकमंत्री माननीय श्रीमती मेघना साकोरे-बोर्डीकर, कृषि राज्यमंत्री माननीय अॅड. आशिष जयस्वाल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस अवसर पर लोकसभा सांसद माननीय श्री संजय जाधव, विधान परिषद सदस्य एवं कार्यकारी परिषद सदस्य माननीय श्री सतीश चव्हाण, विधानसभा सदस्य एवं कार्यकारी परिषद सदस्य माननीय डॉ. राहुल पाटील, विधानसभा सदस्य माननीय श्री रत्नाकर गुट्टे, विधानसभा सदस्य माननीय श्री राजेश विटेकर, कार्यकारी परिषद के माननीय सदस्य श्री प्रवीण देशमुख, डॉ. आदिती सारडा, श्री भागवत देवसरकर, कृषि परिषद के सदस्य श्री विवेक दामले, श्री जनार्दन कातकडे, महाराष्ट्र राज्य के प्रधान सचिव (कृषि) माननीय श्री विकासचंद्र रस्तोगी (भा.प्र.से.), कृषि परिषद पुणे के महानिदेशक माननीय श्री रावसाहेब भागडे (भा.प्र.से.), कृषि आयुक्त माननीय श्री सूरज मांढरे (भा.प्र.से.), नानाजी देशमुख कृषी संजीवनी परियोजना के परियोजना संचालक श्री परिमल सिंह, पीडीकेवी अकोला एवं एमपीकेवी राहुरी के कुलपति माननीय डॉ. शरद गडाख, बीएसकेकेवी दापोली के कुलपति माननीय डॉ. संजय भावे, परभणी के जिलाधिकारी श्री रघुनाथ गावडे, पुलिस अधीक्षक श्री रविंद्रसिंह परदेशी, जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती नतिशा माथुर, नगर निगम आयुक्त श्री धैर्यशील जाधव, अटारी पुणे के श्री तुषार अत्रे, वैद्यकीय शिक्षण एवं अनुसंधान के निदेशक डॉ. अजय चंदनवाले, आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उद्घाटन समारोह में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की "विकसित भारत" इस दूरदर्शी संकल्पना के अनुरूप और केंद्रीय कृषी मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंग चौहान के नेतृत्व में आयोजित राष्टव्यापी "विकसित कृषि संकल्प अभियान" की आज महाराष्ट्र में उत्साहपूर्वक शुरुआत की गई। इस अभियान का उद्घाटन करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री माननीय श्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास व्यक्त किया कि यह अभियान कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा। इस अभियान के माध्यम से कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया अनुसंधान सीधे किसानों तक पहुंचाया जाएगा, तथा वैज्ञानिक और विस्तार कार्यकर्ता सीधे खेत में जाकर किसानों के साथ काम करेंगे। किसानों की जमीनी समस्याओं के समाधान पर विशेष जोर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अभियान के चलते कृषि क्षेत्र की सभी संबंधित संस्थाएं एकजुट होकर समन्वय से कार्य करेंगी और महाराष्ट्र अग्रणी राज्य रहेगा।खेती के समकालीन चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भूमि जोत छोटी होती जा रही है, जिससे लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या बढ़ रही है, और इससे उत्पादन लागत व निवेश पर सीमाएं उत्पन्न हो रही हैं। साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा में अनिश्चितता आई है, जिससे फसलों पर तनाव बढ़ रहा है तथा कीट और रोगों का प्रकोप भी बढ़ा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए कीट व रोग प्रतिरोधक तथा तनाव सहन करने वाले किस्मों का विकास निरंतर किया जा रहा है।
प्रगतिशील किसानों के योगदान का उल्लेख करते हुए कपास उत्पादक श्री दादा लाड की तकनीक का विशेष रूप से उल्लेख किया गया। साथ ही मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि महाराष्ट्र के प्रत्येक कृषि विश्वविद्यालय को कम-से-कम दस किसानों को ‘कृषि वैज्ञानिक’ की मानद उपाधि से सम्मानित करना चाहिए। इसके अलावा, "एग्रीस्टैक" के माध्यम से किसानों की जानकारी एकत्र कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से उन्हें व्यक्तिगत तकनीकी सलाह दी जा सकेगी। विश्वविद्यालयों को AI आधारित कृषि तकनीक मॉडल विकसित करने के लिए सरकार पर्याप्त निधि उपलब्ध करवा रही है। ड्रोन के उपयोग को प्रोत्साहन और उपकरण बैंक की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में विकसित किया गया ‘महा-विस्तार एआई’ ऐप किसानों का डिजिटल साथी सिद्ध होगा और इसके व्यापक उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी योजना का चरण 2 के अंतर्गत ₹4000 करोड़ की व्यवस्था करके साढ़े सात हजार गांवों का समग्र विकास किया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से भी कृषि क्षेत्र में ठोस निवेश की घोषणा की गई है। अंत में मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि इस बैठक से नए अनुसंधान और नवाचार सामने आएंगे, जिससे किसानों का उत्पादन और आय निश्चित रूप से बढ़ेगी।
माननीय कृषि मंत्री अड. माणिकराव कोकाटे ने कृषि क्षेत्र की विभिन्न चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि इन समस्याओं से निपटने हेतु कृषि विभाग विविध कार्यक्रम चला रहा है। इन सभी कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री माननीय श्री देवेंद्र फडणवीस अत्यंत संवेदनशीलता से सहभागी होकर समग्र कृषि विकास हेतु मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वसंतराव नाईक की दूरदृष्टि से राज्य में चार कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई, जो किसानों को नई तकनीक और उन्नत किस्में प्रदान करने वाले महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गए हैं। विश्वविद्यालयों द्वारा व्यापक अनुसंधान किया गया है और कई प्रगतिशील किसान विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार कर रहे हैं। ऐसे किसानों की उन्होंने सराहना की। केंद्रीय कृषि मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधिकारी इस समय महाराष्ट्र में विशेष कार्यक्रम चला रहे हैं, जिससे उन्होंने संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर सूखा प्रभावित क्षेत्र है, ऐसे क्षेत्रों के लिए सूखा-प्रतिरोधी और सतत उत्पादन देने वाली किस्मों का विकास आवश्यक है। विश्वविद्यालय इस दिशा में कार्य कर रहे हैं और सरकार पूर्ण सहयोग देगी। उन्होंने वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित देश की पहली जैव-संपन्न ज्वार किस्म ‘परभणी शक्ति’ और बाजार के लिए विकसित दो नई किस्मों की सराहना की। साथ ही उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत घटाने पर बल दिया। जैविक खेती को बढ़ावा देकर विषमुक्त और स्वास्थ्यवर्धक अन्न उत्पादन की आवश्यकता भी उन्होंने व्यक्त की। वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे सीधे किसानों के खेतों तक पहुंचें और उनके लिए उन्नत तकनीकों को बढ़ावा दें। जलवायु अनुकूल तकनीकों का विकास और प्रसार आवश्यक है। राज्य सरकार कृषि में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश कर रही है और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महाराष्ट्र कृषि विकास में देश में अग्रणी बना रहेगा।
कृषि राज्य मंत्री माननीय अड. आशिष जयस्वाल ने कहा कि यदि कृषि क्षेत्र में सही दिशा और विधियां अपनाई जाएं तो अपेक्षित प्रगति संभव है। खेती की मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए इस बैठक की तकनीकी सिफारिशें अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी। उन्होंने कहा कि 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के कारण अब तक की आधुनिक तकनीक सीधे किसानों तक पहुंचेगी, जिससे कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र की समग्र प्रगति हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रभावी उपयोग अनिवार्य है। “AI को शामिल करने से निर्णय प्रक्रिया अधिक सटीक और तेज़ होगी, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी और सतत कृषि के नए रास्ते खुलेंगे,” ऐसा उन्होंने कहा। इस बैठक से मुख्यमंत्री माननीय देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में राज्य बड़ी प्रगति करेगा, ऐसा ठोस विश्वास भी उन्होंने व्यक्त किया।
प्रधान सचिव
(कृषि) माननीय श्री विकासचंद्र रस्तोगी (IAS) ने स्पष्ट किया कि राज्य के किसानों के समग्र विकास हेतु कृषि अनुसंधान को
विशेष महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र
फडणवीस की उपस्थिति में हुई बैठक में कृषि अनुसंधान के प्रति संवेदनशीलता दर्शाई
गई है। उन्होंने कहा कि केवल विश्वविद्यालयों द्वारा किया गया अनुसंधान ही नहीं,
बल्कि प्रगतिशील किसानों द्वारा विकसित तकनीकें भी किसानों के लिए
उपयोगी सिद्ध होती हैं। दापोली कृषि विश्वविद्यालय में जैविक और अजैविक तनावों को
सहन करने वाली नई किस्मों के विकास हेतु विशेष परियोजना शुरू की गई है। साथ ही,
फसलों की क्षति का सटीक आकलन ड्रोन तकनीक की मदद से कर समाधान एवं
मुआवज़े का निर्धारण करने हेतु वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय,
परभणी को एक परियोजना सौंपी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि
विश्वविद्यालयों को दिए गए फंड का सही उपयोग होकर ठोस परिणाम प्राप्त होने चाहिए।
उन्होंने आधुनिक तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स के
प्रभावी उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। कृषि विकास की दिशा में निजी क्षेत्र
और निजी विश्वविद्यालयों की भागीदारी भी आवश्यक है, और
समन्वित प्रयासों से ही सतत कृषि विकास संभव है।
प्रस्तावना में माननीय कुलगुरु प्रो. (डॉ.) इन्द्र मणि ने उपस्थित सभी मान्यवरों एवं प्रगतिशील किसानों का हार्दिक स्वागत करते हुए अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। इस अवसर पर बोलते हुए माननीय कुलगुरु ने कहा कि इस बैठक में राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित की गई नई किस्मों, यंत्रों और तकनीकी सिफारिशों को अनुमोदित कर किसानों की सेवा में लाया जाएगा। उन्होंने गर्वपूर्वक बताया कि पूरे देश में एकमात्र ऐसी संयुक्त निर्णय प्रणाली महाराष्ट्र में लागू की जा रही है। इस अवसर पर उन्होंने ‘कृषि संकल्प अभियान’ की जानकारी दी। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि वर्ष 1950-51 की तुलना में आज खाद्यान्न उत्पादन में छह गुना वृद्धि हुई है। हरित क्रांति से शुरू हुआ कृषि विकास अब ‘इंद्रधनुष क्रांति’ के रूप में फैल चुका है। महाराष्ट्र ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है, और राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र के कार्यों की सराहना की जा रही है। माननीय कुलगुरु ने कहा कि राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालय अपने-अपने क्षेत्रों के किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु सदैव तत्पर हैं और शोध एवं नवाचार के माध्यम से कृषि को नई दिशा दे रहे हैं। अंत में, उन्होंने विश्वविद्यालयों की प्रगति हेतु आवश्यक संसाधनों और सुविधाओं की मांग रखी।
कार्यक्रम के दौरान बैठक की स्मारिका और वैज्ञानिकों द्वारा रचित पुस्तकों का विमोचन मान्यवरों के कर-कमलों से किया गया, साथ ही कपास की तीन किस्मों – एनएच 1901 बीटी, एनएच 1902 बीटी तथा एनएच 1904 बीटी – का लोकार्पण किया गया। इसके अतिरिक्त, परभणी स्थित शासकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय और सेलू स्थित 132 के.वी. उपकेंद्र का ई-उद्घाटन महाराष्ट्र राज्य के माननीय उपमुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा किया गया।
इस अवसर पर परभणी के डॉ. मदन पेंडके, राहुरी के डॉ. सुनील कदम, दापोली के डॉ. विजय दळवी और अकोला के डॉ. संतोष गहूकर को विश्वविद्यालय और किसानों के हित में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए “उत्कृष्ट वैज्ञानिक 2025” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन अनुसंधान निदेशक डॉ. खिजर बेग ने किया। इस अवसर पर राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधान निदेशक, शिक्षा निदेशक, विस्तार शिक्षा निदेशक सहित लगभग 300 से अधिक वैज्ञानिक उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय की तकनीक एवं नवाचारों पर आधारित प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।