Thursday, May 29, 2025

"विकसित कृषि संकल्प अभियान" और संयुक्त कृषि अनुसंधान एवं विकास समिति की बैठक का भव्य उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस के कर-कमलों से सम्पन्न



वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, परभणी तथा महाराष्ट्र कृषि शिक्षण एवं अनुसंधान परिषद, पुणे के संयुक्त तत्वावधान में राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालयों की 53वीं संयुक्त कृषि अनुसंधान एवं विकास समिति-2025 की बैठक का आयोजन दिनांक 29 से 31 मई, 2025 के दौरान परभणी कृषि विश्वविद्यालय में किया गया है। इस बैठक के साथ ही "विकसित कृषि संकल्प अभियान" का उद्घाटन दिनांक 29 मई को महाराष्ट्र राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस के कर-कमलों द्वारा हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि मंत्री एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रतिनिधि माननीय श्री अॅड. माणिकराव कोकाटे ने की, जबकि वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रा. (डॉ.) इन्द्र मणि स्वागताध्यक्ष थे।

कार्यक्रम में सार्वजनिक आरोग्य एवं परिवार कल्याण, ऊर्जा, महिला एवं बाल विकास, सार्वजनिक निर्माण राज्यमंत्री तथा परभणी जिले की पालकमंत्री माननीय श्रीमती मेघना साकोरे-बोर्डीकर, कृषि राज्यमंत्री माननीय अॅड. आशिष जयस्वाल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

इस अवसर पर लोकसभा सांसद माननीय श्री संजय जाधव, विधान परिषद सदस्य एवं कार्यकारी परिषद सदस्य माननीय श्री सतीश चव्हाण, विधानसभा सदस्य एवं कार्यकारी परिषद सदस्य माननीय डॉ. राहुल पाटील, विधानसभा सदस्य माननीय श्री रत्नाकर गुट्टे, विधानसभा सदस्य माननीय श्री राजेश विटेकर, कार्यकारी परिषद के माननीय सदस्य श्री प्रवीण देशमुख, डॉ. आदिती सारडा, श्री भागवत देवसरकर, कृषि परिषद के सदस्य श्री विवेक दामले, श्री जनार्दन कातकडे, महाराष्ट्र राज्य के प्रधान सचिव (कृषि) माननीय श्री विकासचंद्र रस्तोगी (भा.प्र.से.), कृषि परिषद पुणे के महानिदेशक माननीय श्री रावसाहेब भागडे (भा.प्र.से.), कृषि आयुक्त माननीय श्री सूरज मांढरे (भा.प्र.से.), नानाजी देशमुख कृषी संजीवनी परियोजना के परियोजना संचालक श्री परिमल सिंह, पीडीकेवी अकोला एवं एमपीकेवी राहुरी के कुलपति माननीय डॉ. शरद गडाख, बीएसकेकेवी दापोली के कुलपति माननीय डॉ. संजय भावे, परभणी के जिलाधिकारी श्री रघुनाथ गावडे, पुलिस अधीक्षक श्री रविंद्रसिंह परदेशी, जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती नतिशा माथुर, नगर निगम आयुक्त श्री धैर्यशील जाधव, अटारी पुणे के श्री तुषार अत्रे, वैद्यकीय शिक्षण एवं अनुसंधान के निदेशक डॉ. अजय चंदनवाले, आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

उद्घाटन समारोह में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की "विकसित भारत" इस दूरदर्शी संकल्पना के अनुरूप और केंद्रीय कृषी मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंग चौहान के नेतृत्‍व में आयोजित राष्‍टव्‍यापी "विकसित कृषि संकल्प अभियान" की आज महाराष्ट्र में उत्साहपूर्वक शुरुआत की गई। इस अभियान का उद्घाटन करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री माननीय श्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास व्यक्त किया कि यह अभियान कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा। इस अभियान के माध्यम से कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया अनुसंधान सीधे किसानों तक पहुंचाया जाएगा, तथा वैज्ञानिक और विस्तार कार्यकर्ता सीधे खेत में जाकर किसानों के साथ काम करेंगे। किसानों की जमीनी समस्याओं के समाधान पर विशेष जोर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अभियान के चलते कृषि क्षेत्र की सभी संबंधित संस्थाएं एकजुट होकर समन्वय से कार्य करेंगी और महाराष्ट्र अग्रणी राज्य रहेगा।खेती के समकालीन चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भूमि जोत छोटी होती जा रही है, जिससे लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या बढ़ रही है, और इससे उत्पादन लागत व निवेश पर सीमाएं उत्पन्न हो रही हैं। साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा में अनिश्चितता आई है, जिससे फसलों पर तनाव बढ़ रहा है तथा कीट और रोगों का प्रकोप भी बढ़ा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए कीट व रोग प्रतिरोधक तथा तनाव सहन करने वाले किस्मों का विकास निरंतर किया जा रहा है।

प्रगतिशील किसानों के योगदान का उल्लेख करते हुए कपास उत्पादक श्री दादा लाड की तकनीक का विशेष रूप से उल्लेख किया गया। साथ ही मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि महाराष्ट्र के प्रत्येक कृषि विश्वविद्यालय को कम-से-कम दस किसानों को ‘कृषि वैज्ञानिक’ की मानद उपाधि से सम्मानित करना चाहिए। इसके अलावा, "एग्रीस्टैक" के माध्यम से किसानों की जानकारी एकत्र कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से उन्हें व्यक्तिगत तकनीकी सलाह दी जा सकेगी। विश्वविद्यालयों को AI आधारित कृषि तकनीक मॉडल विकसित करने के लिए सरकार पर्याप्त निधि उपलब्ध करवा रही है। ड्रोन के उपयोग को प्रोत्साहन और उपकरण बैंक की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में विकसित किया गया ‘महा-विस्तार एआई’ ऐप किसानों का डिजिटल साथी सिद्ध होगा और इसके व्यापक उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी योजना का चरण 2 के अंतर्गत ₹4000 करोड़ की व्यवस्था करके साढ़े सात हजार गांवों का समग्र विकास किया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से भी कृषि क्षेत्र में ठोस निवेश की घोषणा की गई है। अंत में मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि इस बैठक से नए अनुसंधान और नवाचार सामने आएंगे, जिससे किसानों का उत्पादन और आय निश्चित रूप से बढ़ेगी।

माननीय कृषि मंत्री अड. माणिकराव कोकाटे ने कृषि क्षेत्र की विभिन्न चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि इन समस्याओं से निपटने हेतु कृषि विभाग विविध कार्यक्रम चला रहा है। इन सभी कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री माननीय श्री देवेंद्र फडणवीस अत्यंत संवेदनशीलता से सहभागी होकर समग्र कृषि विकास हेतु मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वसंतराव नाईक की दूरदृष्टि से राज्य में चार कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई, जो किसानों को नई तकनीक और उन्नत किस्में प्रदान करने वाले महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गए हैं। विश्वविद्यालयों द्वारा व्यापक अनुसंधान किया गया है और कई प्रगतिशील किसान विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार कर रहे हैं। ऐसे किसानों की उन्होंने सराहना की। केंद्रीय कृषि मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधिकारी इस समय महाराष्ट्र में विशेष कार्यक्रम चला रहे हैं, जिससे उन्होंने संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर सूखा प्रभावित क्षेत्र है, ऐसे क्षेत्रों के लिए सूखा-प्रतिरोधी और सतत उत्पादन देने वाली किस्मों का विकास आवश्यक है। विश्वविद्यालय इस दिशा में कार्य कर रहे हैं और सरकार पूर्ण सहयोग देगी। उन्होंने वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित देश की पहली जैव-संपन्न ज्वार किस्म ‘परभणी शक्ति’ और बाजार के लिए विकसित दो नई किस्मों की सराहना की। साथ ही उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत घटाने पर बल दिया। जैविक खेती को बढ़ावा देकर विषमुक्त और स्वास्थ्यवर्धक अन्न उत्पादन की आवश्यकता भी उन्होंने व्यक्त की। वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे सीधे किसानों के खेतों तक पहुंचें और उनके लिए उन्नत तकनीकों को बढ़ावा दें। जलवायु अनुकूल तकनीकों का विकास और प्रसार आवश्यक है। राज्य सरकार कृषि में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश कर रही है और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महाराष्ट्र कृषि विकास में देश में अग्रणी बना रहेगा।

कृषि राज्य मंत्री माननीय अड. आशिष जयस्वाल ने कहा कि यदि कृषि क्षेत्र में सही दिशा और विधियां अपनाई जाएं तो अपेक्षित प्रगति संभव है। खेती की मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए इस बैठक की तकनीकी सिफारिशें अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी। उन्होंने कहा कि 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के कारण अब तक की आधुनिक तकनीक सीधे किसानों तक पहुंचेगी, जिससे कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र की समग्र प्रगति हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रभावी उपयोग अनिवार्य है। “AI को शामिल करने से निर्णय प्रक्रिया अधिक सटीक और तेज़ होगी, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी और सतत कृषि के नए रास्ते खुलेंगे,” ऐसा उन्होंने कहा। इस बैठक से मुख्यमंत्री माननीय देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में राज्य बड़ी प्रगति करेगा, ऐसा ठोस विश्वास भी उन्होंने व्यक्त किया।

प्रधान सचिव (कृषि) माननीय श्री विकासचंद्र रस्तोगी (IAS) ने स्पष्ट किया कि राज्य के किसानों के समग्र विकास हेतु कृषि अनुसंधान को विशेष महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में हुई बैठक में कृषि अनुसंधान के प्रति संवेदनशीलता दर्शाई गई है। उन्होंने कहा कि केवल विश्वविद्यालयों द्वारा किया गया अनुसंधान ही नहीं, बल्कि प्रगतिशील किसानों द्वारा विकसित तकनीकें भी किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध होती हैं। दापोली कृषि विश्वविद्यालय में जैविक और अजैविक तनावों को सहन करने वाली नई किस्मों के विकास हेतु विशेष परियोजना शुरू की गई है। साथ ही, फसलों की क्षति का सटीक आकलन ड्रोन तकनीक की मदद से कर समाधान एवं मुआवज़े का निर्धारण करने हेतु वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, परभणी को एक परियोजना सौंपी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों को दिए गए फंड का सही उपयोग होकर ठोस परिणाम प्राप्त होने चाहिए। उन्होंने आधुनिक तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स के प्रभावी उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। कृषि विकास की दिशा में निजी क्षेत्र और निजी विश्वविद्यालयों की भागीदारी भी आवश्यक है, और समन्वित प्रयासों से ही सतत कृषि विकास संभव है।

प्रस्तावना में माननीय कुलगुरु प्रो. (डॉ.) इन्द्र मणि ने उपस्थित सभी मान्यवरों एवं प्रगतिशील किसानों का हार्दिक स्वागत करते हुए अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। इस अवसर पर बोलते हुए माननीय कुलगुरु ने कहा कि इस बैठक में राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित की गई नई किस्मों, यंत्रों और तकनीकी सिफारिशों को अनुमोदित कर किसानों की सेवा में लाया जाएगा। उन्होंने गर्वपूर्वक बताया कि पूरे देश में एकमात्र ऐसी संयुक्त निर्णय प्रणाली महाराष्ट्र में लागू की जा रही है। इस अवसर पर उन्होंने ‘कृषि संकल्प अभियान’ की जानकारी दी। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि वर्ष 1950-51 की तुलना में आज खाद्यान्न उत्पादन में छह गुना वृद्धि हुई है। हरित क्रांति से शुरू हुआ कृषि विकास अब ‘इंद्रधनुष क्रांति’ के रूप में फैल चुका है। महाराष्ट्र ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है, और राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र के कार्यों की सराहना की जा रही है। माननीय कुलगुरु ने कहा कि राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालय अपने-अपने क्षेत्रों के किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु सदैव तत्पर हैं और शोध एवं नवाचार के माध्यम से कृषि को नई दिशा दे रहे हैं। अंत में, उन्होंने विश्वविद्यालयों की प्रगति हेतु आवश्यक संसाधनों और सुविधाओं की मांग रखी।

कार्यक्रम के दौरान बैठक की स्मारिका और वैज्ञानिकों द्वारा रचित पुस्तकों का विमोचन मान्यवरों के कर-कमलों से किया गया, साथ ही कपास की तीन किस्मों – एनएच 1901 बीटी, एनएच 1902 बीटी तथा एनएच 1904 बीटी – का लोकार्पण किया गया। इसके अतिरिक्त, परभणी स्थित शासकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय और सेलू स्थित 132 के.वी. उपकेंद्र का ई-उद्घाटन महाराष्ट्र राज्य के माननीय उपमुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा किया गया।

इस अवसर पर परभणी के डॉ. मदन पेंडके, राहुरी के डॉ. सुनील कदम, दापोली के डॉ. विजय दळवी और अकोला के डॉ. संतोष गहूकर को विश्वविद्यालय और किसानों के हित में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए “उत्कृष्ट वैज्ञानिक 2025” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन अनुसंधान निदेशक डॉ. खिजर बेग ने किया। इस अवसर पर राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधान निदेशक, शिक्षा निदेशक, विस्तार शिक्षा निदेशक सहित लगभग 300 से अधिक वैज्ञानिक उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय की तकनीक एवं नवाचारों पर आधारित प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।







Wednesday, May 21, 2025

देशभरातील कृषी विद्यापीठांचे कुलगुरू आणि आयसीएआर संस्थांच्या संचालकांच्या वार्षिक परिषदेचे केंद्रीय कृषि मंत्री मा ना श्री शिवराजसिंह चौहान यांच्‍या हस्‍ते उद्घाटन

शास्त्रज्ञ सातत्याने संशोधनात गुंतलेले आहेत, कृषी विद्यापीठेही महत्त्वाची भूमिका बजावत आहेत, पण आपल्याला अजूनही अनेक उद्दिष्टे गाठायची आहेत .... मा ना श्री शिवराजसिंह चौहान

शेतकऱ्यांचे जीवन चांगले बनवणे हे आपले कार्य आहे, शेतकऱ्यांनी देशाची अन्न सुरक्षा सुनिश्चित केली आहे ... मा ना श्री शिवराजसिंह चौहान

नवी दिल्ली, २० मे २०२५: केंद्रीय कृषी, शेतकरी कल्याण आणि ग्रामीण विकास मंत्री मा श्री. शिवराजसिंह चौहान यांनी आज पूसा, नवी दिल्ली येथील सुब्रमण्यम सभागृहात देशभरातील कृषी विद्यापीठांचे कुलगुरू आणि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदेच्‍या विविध संस्थांच्या संचालक यांच्‍या वार्षिक परिषदेचे उद्घाटन केले. या वेळी कृषी राज्यमंत्री मा श्री. भागीरथ चौधरी, आयसीएआरचे महासंचालक डॉ. एम. एल. जाट तसेच सर्व उपमहासंचालक, सहायक महासंचालक, देशातील कृषि विद्यापीठातील कुलगुरू आणि अन्य अधिकारी उपस्थित होते.  वसंतराव नाईक मराठवाडा कृषि विद्यापीठाचे माननीय कुलगुरू डॉ इन्‍द्र मणि यांची वार्षिक परिषदेत सहभाग घेतला होता.

मा श्री. चौहान यांनी यावेळी सांगितले की, आयसीएआर ही संस्था कृषी शिक्षण, विस्तार व संशोधनाचे मंदिर आहे. कृषी क्षेत्रातील आपली कामगिरी अभिमानास्पद आहे आणि आज आयसीएआर ही संस्थाच देशाचा गौरव बनली आहे. शास्त्रज्ञ सातत्याने संशोधन करत आहेत, कृषी विद्यापीठेही महत्त्वाची भूमिका पार पाडत आहेत, परंतु आपल्याला अजूनही अनेक लक्ष्ये गाठायची आहेत व गॅप भरायचे आहेत. दररोज दोन वेळा पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करून देणे हे आपले मंत्र आहे.

मा श्री. शिवराजसिंह चौहान म्हणाले की, मी जर या इमारतीला मंदिर म्हटले असेल तर त्याचा देव म्हणजे शेतकरी आणि आपण सगळे त्याचे पुजारी आहोत. त्या शेतकऱ्याचे जीवन अधिक चांगले कसे करता येईल हे आपले कार्य आहे. शेतकरी अन्न भंडार भरतो, त्यामुळे अन्न सुरक्षा निश्चित होते. शेतकरी पृथ्वीचे रक्षणही करतो. पुढील पिढ्यांसाठीही ही पृथ्वी शाबूत राहावी. कीटकनाशके आणि रासायनिक खते यांचा अनियंत्रित वापर मातीच्या आरोग्यावर विपरीत परिणाम करत आहे. एकेकाळी अमेरिकेचे खराब पीएल ४८० गहू खावे लागत होते, आणि आज आपण ८० कोटींपेक्षा अधिक लोकांना मोफत धान्य देत आहोत. एक वेळच नाही तर दोन वेळा जेवण मिळायला हवे, पोषणयुक्त खायचे आणि खाऊ घालायचे.

मा श्री. शिवराजसिंह चौहान म्हणाले की, आपण काही मुद्द्यांवर गंभीर विचार करण्यासाठी एकत्र आलो आहोत. पंतप्रधानांचा संकल्प – विकसित भारत – हे माझ्यासाठी मंत्र आहे. मी असा कृषीमंत्री आहे जो २५ व २६ तारखेला पदयात्रा करणार आहे. लोकांना जोडण्यासाठी पायी चालणे हे सर्वोत्तम माध्यम आहे. विकसित भारतासाठी विकसित शेती आणि समृद्ध शेतकरी आवश्यक आहेत. आपले उद्दिष्ट एकच – देशाची अन्न सुरक्षा सुनिश्चित करणे आणि भारताला जगाचा फूड बास्केट बनवणे. शेतकऱ्यांचे उत्पन्नही सुनिश्चित करणे आवश्यक आहे. शेती नफा देणारा व्यवसाय झाला पाहिजे, अन्यथा शेती कोण करेल?

मा श्री. शिवराजसिंह म्हणाले की, आपली एक टीम आहे. पंतप्रधान नरेंद्र मोदीजी यांचे मार्गदर्शन लाभत आहे. आपला मंत्र आहे – एक राष्ट्र, एक शेती, एक टीम. आपण एका दिशेने पुढे जाऊ. आपली रणनीती तयार आहे. आपल्याला मिळून सहा कामे करायची आहेत – उत्पादन वाढवायचे, प्रति हेक्टर उत्पन्न कसे वाढेल, उत्पादन खर्च कसा कमी होईल, उत्पादनाला योग्य दर मिळावा, फूड प्रोसेसिंगमध्ये काय करावे, नुकसान भरपाई कशी मिळावी, शेतीचे विविधीकरण आणि नैसर्गिक शेतीला प्रोत्साहन द्यायचे.

ते म्हणाले की, आजचा एक महत्त्वाचा प्रश्न असा आहे की पुढील पिढ्यांसाठी ही पृथ्वी सुरक्षित कशी ठेवायची? आपण विचार केला की, प्रयोगशाळांतील शास्त्रज्ञ, विद्यापीठांतील कुलगुरू, केव्हीकेचे तज्ञ, राज्य सरकार, केंद्र सरकार – सगळे एकत्र यायला हवे. विकसित शेती संकल्प अभियानात आपण शेतकऱ्यांसाठी एकत्र बाहेर पडू. प्रयोगशाळेत संशोधन झाले, पण त्याचा शेतीत उपयोगच झाला नाही, तर काय फायदा? म्हणूनच ते शेतीपर्यंत पोहोचले पाहिजे. प्रत्येकजण फिल्डमध्ये उतरावा. एका जिल्ह्यात दोन टीम पाठवण्यात येतील. मी कुलगुरू व विद्यार्थ्यांना सांगतो की, तुम्ही शेतकऱ्यांशी संवाद साधा, हवामान कसे आहे, माती कशी आहे, कोणती पिके योग्य ठरतील हे जाणून घ्या. आपण प्रत्यक्षात जाऊ आणि या खरीपातच उत्पादन वाढवून दाखवू, आणि खर्च कमी करून दाखवू.

केंद्रीय मंत्री म्हणाले की, संशोधन लेख आणि पुस्तके यांचा उपयोग सामान्य शेतकऱ्याला झाला पाहिजे. विद्यापीठातून बाहेर पडणारे किती विद्यार्थी अ‍ॅग्रो बिझनेसशी जोडले गेले आहेत, त्याचे मूल्यांकन झाले पाहिजे. कुणी स्टार्टअप सुरू केला आहे का, कुणी शेती सुरू केली आहे का, हे पाहणे आवश्यक आहे. कृषी शिक्षण घेतल्यानंतर ती शिक्षण शेतीसाठी उपयोगी ठरले पाहिजे. शिक्षण हे प्रात्यक्षिक असावे. पगार व संशोधन यातील समतोल कसा असावा, संसाधनांचा उत्तम वापर कसा करावा हे पाहा. शेतकऱ्यांसाठी मोबाईल अ‍ॅप किंवा हेल्पलाइन असली पाहिजे. आपण आपल्या भागातील शेतकऱ्यांना कशी मदत करू शकतो याचा विचार करा. आपण स्वतः ठरवा की आपले विद्यापीठ देशातील टॉप तीनमध्ये कसे येईल? आधुनिक ज्ञान आणि पारंपरिक ज्ञान यांचा संगम कसा करता येईल, हे पाहा. अनेकदा शेतकरी प्रत्यक्ष अनुभवातून अधिक जाणतो. प्रत्येक कुलगुरूंनी दोन-तीन सर्वोत्तम कृती शेअर कराव्यात. सर्व विद्यापीठांमध्ये सकारात्मक स्पर्धा असली पाहिजे. केवळ कुलगुरू बनून समाधानी राहू नये, उत्तम काम करण्याचा प्रयत्न सतत असावा. पुढच्या वेळी बसलो तर आपण ठरवलेले टार्गेट गाठले का याचे रिपोर्ट कार्ड सादर करू, म्हणजेच ही बैठक सार्थ ठरेल, असे ते म्‍हणाले.


माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या अध्यक्षतेखाली राज्यस्तरीय खरीप हंगाम नियोजन बैठक संपन्‍न

'महाविस्तार - AI अ‍ॅप'चे लोकार्पण 

'राज्य सरकारसाठी शेतकरी सर्वात महत्त्वाचा'.... मा मुख्‍यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस

बैठकीस वनामकृविचे माननीय कुलगुरू डॉ इन्‍द्र मणि यांची उपस्थिती

माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या अध्यक्षतेखाली दिनांक २१ मे रोजी यशवंतराव चव्हाण सभागृह, मुंबई येथे 'राज्यस्तरीय खरीप हंगाम नियोजन बैठक - २०२५' संपन्न झाली. याप्रसंगी माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस यांनी उपस्थितांना संबोधित केले.

माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस यांनी बैठकी दरम्यान महाराष्ट्र शासनाच्या 'डिजिटल भारत, आत्मनिर्भर महाराष्ट्र' संकल्पनेला अनुसरुन कृत्रिम बुद्धिमत्तेच्या साहाय्याने शासन अधिक सक्षम, लोकाभिमुख आणि पारदर्शक करण्याच्या दृष्टीने नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी प्रकल्‍पांंतर्गत कृषी विभागाने विकसित केलेल्या 'महाविस्तार - AI अ‍ॅप'चे लोकार्पण केले. याप्रसंगी व्‍यासपीठावर माननीय सर्वश्री उपमुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री श्री अजित पवार, मंत्री श्री चंद्रशेखर बावनकुळे, मंत्री श्री चंद्रकांत पाटील, मंत्री अॅड. माणिकराव कोकाटे, मंत्री श्री राधाकृष्ण विखे पाटील, मंत्री श्री गिरीष महाजन, मंत्री श्री पंकजाताई मुंडे, राज्यमंत्री ॲड. आशिष जयस्वाल, मुख्य सचिव श्रीमती सुजाता सौनिक, प्रधान सचिव श्री विकासचंद्र रस्‍तोगी, राज्‍यातील प्रशासणातील व कृषि विभागातील वरिष्‍ठ अधिकारी, कृषी विद्यापीठांचे कुलगुरू डॉ इन्‍द्र मणि, डॉ शरद गडाख, डॉ संजय भावे व इतर मान्यवर उपस्थित होते.

मा मुख्यमंत्री म्हणाले, कृषी विभागाने तयार केलेला महाविस्तार अ‍ॅप हा खऱ्या अर्थाने 'वन स्टॉप शॉप' आहे. शेती क्षेत्रातील सर्व ज्ञान व शेतकरी बांधवांच्या सर्व समस्यांचे उत्तर देण्याची क्षमता यामध्ये आहे. तसेच या अ‍ॅपचे चॅटबॉट अतिशय उत्तम पद्धतीने तयार करण्यात आले आहे. कृषी संदर्भातील कुठलेही प्रश्न त्या चॅटबॉटला विचारले, तर त्याचे अतिशय अचूक उत्तर यामधून मिळते. शेतकऱ्यांना शास्त्रशुद्ध व रिअल-टाइम कृषी विषयक सल्ला देणाऱ्या 'महाविस्तार - AI ॲप' आहे. यावेळी मुख्यमंत्री यांनी कृषी सचिवांना सदर चॅटबॉट शेतकरी बांधवांच्या सुविधेसाठी व्हाट्सअ‍ॅपवर उपलब्ध करून देण्याचे निर्देश दिले. 

बैठकीत संबोधीत करतांना मा मुख्यमंत्री म्हणाले, खते व बी-बियाण्यांच्या नियोजना संदर्भात मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस म्हणाले कि, मॉन्सूनपूर्वी खते व बी-बियाण्यांची उपलब्धता सुनिश्चित करण्यात यावी. संबंधित जिल्ह्यातील मागील वर्षाचा व चालू वर्षाचा ट्रेंड लक्षात घेऊन, बियाण्यांचे व खतांच्या उपलब्धतेचे नियोजन करावे. बोगस बियाण्यांवर आळा घालण्यासाठी महाराष्ट्राने पहिल्यांदा केंद्र सरकारच्या 'साथी' या पोर्टलवर बियाणे नोंदणी करण्याचा नियम केला आहे. आता जवळपास 70,000 क्विंटल बियाणे पोर्टलवर उपलब्ध असून ते ट्रेसेबल आहेत. त्यामुळे बोगसगिरी झाली असेल तर ती कोणी केली हे ओळखणे शक्य होईल. पुढच्या वर्षापासून 100% बियाणे 'साथी' या पोर्टलवर असेल, असे मुख्यमंत्री फडणवीस यांनी सांगितले.

कीड व्यवस्थापन योग्य प्रकारे झाले पाहिजे, यादृष्टीने सगळी काळजी घेण्यात येत आहे. विशेषतः यावर्षी डिजिटल शेतीशाळा देखील आयोजित करण्यात आलेल्या आहेत. राज्यातील प्रत्येक तालुक्यामध्ये डिजिटल शेती शाळा आयोजित करण्यात येणार आहेत. या डिजिटल शेती शाळेच्या माध्यमातून कीड व्यवस्थापनबरोबरच नवीन पद्धतीने शेतकऱ्यांना मार्गदर्शन करण्यात येणार आहे. वातावरणातल्या बदलामुळे काही डिझॅस्टरची सूचना आधीच मिळावी, यासाठी आयएमडीच्या मदतीने एक डिसेमिनेशनची सिस्टीम देखील तयार केली असल्याचे, मुख्यमंत्री फडणवीस म्हणाले.

ज्यावर्षी राज्यात पाऊस अधिक असतो त्यावर्षी कृषी विकासदर देखील हा अधिक असतो. यावर्षी आयएमडीने राज्यात सरासरी सर्वच विभागात 107% पावसाचा अंदाज वर्तवलेला आहे. त्यामुळे विक्रमी उत्पादकतेचे लक्ष्य विभागाने ठेवलेले आहे, असे मुख्यमंत्री फडणवीस म्हणाले.

वर्षानुवर्षे विविध कारणांमुळे शेतीचे क्षेत्र हे मदत आणि पुनर्वसनाचे क्षेत्र झालेले आहे. हे चित्र बदलण्यासाठी प्रतिवर्षी ₹5,000 कोटींची गुंतवणूक शेती क्षेत्रात करण्याचे राज्य शासनाने ठरवलेले आहे. अधिकाधिक गुंतवणुकीमुळे शेती क्षेत्रातील शाश्वतता वाढणार आहे. यावेळी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी यासंदर्भातील विविध योजनांचा विस्तृत आढावा घेतला. राज्यातील सर्व शेतकरी बांधवाना कृषी कर्ज वेळेत सर्वच बँकांनी उपल्बध करून द्यावे. तसेच कोणत्याही बँकेने याबाबत 'सिबिल स्कोर'ची मागणी जर केली, त्यांच्यावर तात्काळ कारवाई करा, असे स्पष्ट निर्देश मुख्यमंत्री फडणवीस यांनी यावेळी संबंधितांना दिले.

राज्य सरकारसाठी शेतकरी हा सर्वात महत्त्वाचा घटक आहे. राज्यातील 45% लोकसंख्या कृषी क्षेत्रावर अवलंबुन आहे. त्यामुळेच कृषी क्षेत्रासाठी महत्त्वपूर्ण असलेले तंत्रज्ञान, माहिती, योजना या सुलभतेने शेतकरी बांधवांपर्यंत पोहोचविण्यासाठी, केंद्र सरकारने 'Whole of the Government' या कार्यक्रमाच्या माध्यमातून कृषी क्षेत्राशी संबंधित सर्व विभाग आणि यंत्रणांचे एकत्रीकरण केले आहे, त्याच धर्तीवर राज्यातही हा कार्यक्रम राबवून, शेतकरी बांधवाना सर्व सुविधा वेळेत आणि सुलभतेने मिळतील, असा प्रयत्न कृषी विभागाने करावा, असे निर्देश मुख्यमंत्री फडणवीस यांनी यावेळी दिले. 



Thursday, May 15, 2025

Dr. Indra Mani, Hon'ble Vice Chancellor of VNMKV, Parbhani, honoured with 'Vice Chancellor of the Year' Award


Dr. Indra Mani, Hon’ble Vice Chancellor of Vasantrao Naik Marathwada Krishi Vidyapeeth (VNMKV), Parbhani, was conferred with the prestigious ‘Vice Chancellor of the Year for Exceptional Leadership Award’ at the 8th Edition of the Higher Education Innovation and Technology Summit & Awards 2025 on 15th May, 2025. The event was held in Pune and was organized by Plus Nineone Media, a reputed platform promoting excellence and innovation in the education sector. The award was presented by Mr. Sandeep Gulati, Founder and CEO, and Mr. Ashutosh Dubey, Co-Founder of Plus Nineone Media, in recognition of Dr. Indra Mani’s exceptional leadership and visionary contributions to the advancement of agricultural education and institutional development.

The summit witnessed the participation of several prominent education leaders including Vice-Chancellors, Chairpersons, Directors, Principals, and Deans from across the country. The event served as a key platform for discussing the most pressing challenges and opportunities in higher education through round table discussions, expert panels, and EdTech showcases.

Dr. Indra Mani was invited as an Awardee and Esteemed Guest at the summit. He participated in a high-level panel discussion on the theme “Reimagining Higher Education: Building Future-Ready Universities Through Innovation, Industry Integration, and Digital Transformation,” where he shared valuable insights on the role of digital agriculture, Academic-Industry-Government (AIG) collaboration, and technology-driven transformation in agricultural universities. He also highlighted the key initiatives undertaken by VNMKV, Parbhani, in this domain. 

The panel discussion was moderated by Dr. Sayalee Gankar, Vice Chancellor of DY Patil University, Pune. Other distinguished panelists included Faiz Varsi, Associate General Manager at Meritto; Dr. Rakesh Kumar Jain, Vice Chancellor of Ajeenkya D Y Patil University, Pune; Prof. (Dr.) Safia Farooqui, Professor and Director at Dr. D Y Patil Vidyapeeth, Pimpri, Pune; Prof. Parag Shah, Chief Mentor of Midas School of Entrepreneurship and Founding Chairman of Flame University, Pune; Dr. Lakshmi Mohan, Pro Vice Chancellor of ITM Skill University, Navi Mumbai; Rajesh Khanna, Director of Business Operations at Symbiosis Centre for Corporate & Professional Learning, Pune; and Shri Amit N. Kolhe, Managing Trustee and President of Sanjivani Group of Institutes & Sanjivani University, Kopargaon–Shirdi.

The panel brought together a rich blend of academic leaders and industry experts, who engaged in meaningful dialogue on the future of higher education in India, emphasizing innovation, employability, and digital transformation as key drivers for creating future-ready universities.

Key sessions during the summit included closed-door roundtable discussions on  “Standardized Assessments in Higher Education Admissions: Opportunities and Challenges for Domestic and International Admissions,” and reforms related to placement cells and examination systems. The event also featured presentations on the latest education technologies shaping the future of learning.

The felicitation of Dr. Indra Mani as ‘Vice Chancellor of the Year’ highlights the growing national recognition of VNMKV’s strides in academic excellence, research innovation, and digital outreach under his dynamic leadership. The award is a proud moment for the university and a testament to its commitment to nurturing future-ready agricultural professionals.



Sunday, May 11, 2025

भारतीय कृषि शिक्षणातील विद्यार्थ्यांचा टक्का वाढवणे ही काळाची गरज – माजी कुलगुरू डॉ. विलास भाले यांचे प्रतिपादन

 

लातूर, दि. 9 मे 2025 – "कृषि शिक्षण हे केवळ शिक्षणाचे माध्यम नसून, राष्ट्राच्या अन्न, पर्यावरण व आर्थिक सुरक्षेचा कणा आहे. त्यामुळे उच्च शिक्षणामध्ये कृषि शिक्षणातील विद्यार्थ्यांचा टक्का वाढणे ही काळाची गरज आहे,” असे प्रतिपादन डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला येथील माजी कुलगुरू डॉ. विलास भाले यांनी केले.

लातूर येथील कृषि महाविद्यालयात आयोजित “कृषि शिक्षण आणि नवीन शैक्षणिक धोरण” या विषयावरील मार्गदर्शन कार्यक्रमात ते बोलत होते. विद्यार्थ्यांचे समुपदेशन आणि नियुक्ती कक्षाच्या वतीने हा कार्यक्रम आयोजित करण्यात आला होता. यावेळी व्यासपीठावर महाविद्यालयाचे अधिष्ठाता आणि कार्यक्रमाचे अध्यक्ष डॉ. बाबासाहेब ठोंबरे, चाकूर येथील पदव्युत्तर कृषि व्यवसाय व्यवस्थापन संस्थेचे सहयोगी अधिष्ठाता डॉ. संतोष कांबळे,  विभाग प्रमुख डॉ.हिराकांत काळपांडे तसेच ज्येष्ठ प्राध्यापक डॉ. व्यंकट जगताप हे मान्यवर उपस्थित होते.

डॉ. भाले पुढे म्हणाले, “राज्यातील कृषि शिक्षण संस्था आणि महाविद्यालयांमध्ये प्रवेश घेणाऱ्या विद्यार्थ्यांची संख्या वाढत असली, तरी एकूण उच्च शिक्षणातील त्यांच्या सहभागाचा टक्का अद्यापही समाधानकारक नाही. हा टक्का वाढवण्यासाठी अभ्यासक्रमांचे आधुनिकीकरण, कृषि शिक्षणाला रोजगारोन्मुख बनवणे, आणि समाजात कृषि शिक्षणाची प्रतिष्ठा वाढवणे गरजेचे आहे. कृषि शिक्षण हे एक 'करिअर प्लस समाजसेवा' क्षेत्र बनू शकते.” त्यांनी लातूरच्या कृषि महाविद्यालयाच्या कार्यपद्धतीचे आणि त्यांच्याकडून होत असलेल्या संशोधन, शिक्षण, व पर्यावरण विषयक कार्याचे कौतुक केले. ते म्हणाले की, लातूर कृषि महाविद्यालय परिसरामध्ये निर्माण झालेल्या हिरवळीमुळे हवेची गुणवत्ता सुधारण्यास मदत होऊन लातूर नगरीच्या वैभवात भर पडली आहे. “या महाविद्यालयातून शिकलेले विद्यार्थी निश्चितच यशस्वी ठरतील,” असा विश्वासही त्यांनी व्यक्त केला.

कार्यक्रमाच्या अध्यक्षीय समारोपात बोलताना डॉ. बाबासाहेब ठोंबरे यांनी सांगितले की, “महाविद्यालयात विद्यार्थ्यांमध्ये कृषि शिक्षणाविषयी आकर्षण निर्माण करण्यासाठी करिअर मार्गदर्शन, शिष्यवृत्ती योजना, तांत्रिक प्रशिक्षण तसेच यशोगाथांचे सादरीकरण यावर भर दिला जातो. राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरण (NEP) 2020 मध्ये कृषि शिक्षणाला महत्त्व देण्यात आले असून, भविष्यात त्यानुसार अभ्यासक्रम बहुविषयक आणि कौशल्याधारित बनवले जातील.”

या कार्यक्रमाचे संयोजन विद्यार्थी समुपदेशन व नियुक्ती कक्षाचे प्रभारी डॉ. विजय भामरे यांनी केले. सूत्रसंचालन श्री. जीवन धोत्रे यांनी केले तर आभार प्रदर्शन श्री. सुरज हजारे यांनी केले.

कार्यक्रमाला महाविद्यालयातील प्राध्यापक डॉ. अच्युत भरोसे, डॉ. ज्योती देशमुख, डॉ. अनंत शिंदे, डॉ. राजेश शेळक, डॉ. वसंत सूर्यवंशी, डॉ. दयानंद मोरे, डॉ. प्रभाकर अडसूळ, डॉ. सुनिता मगर, डॉ. नितीन तांबोळी, डॉ. ज्ञानेश्वर सुरडकर, डॉ. राहुल चव्हाण, डॉ. सुधीर सूर्यवंशी तसेच मोठ्या संख्येने पदवी आणि पदव्युत्तर विद्यार्थी उपस्थित होते.








Tuesday, May 6, 2025

ARS, Badnapur conferred with the Prestigious AICRP Best Centre Award for Excellence in Kharif Pulses Research at National Level

The Agricultural Research Station (ARS), Badnapur, under Vasantrao Naik Marathwada Krishi Vidyapeeth (VNMKV), Parbhani, has been conferred with the Best Centre Award by the All India Coordinated Research Project (AICRP) on Kharif Pulses. The award was presented during the Annual Group Meet held from May 7–9, 2025, at SKNAU, RARI, Durgapura-Jaipur (Rajasthan). ARS, Badnapur received this honour for its outstanding contributions in the development of high-yielding varieties and technologies in Kharif pulses, particularly Pigeonpea. The station’s efforts in pre-breeding, plant production, and plant protection research have been nationally recognized for their scientific impact and relevance to farmers. On this proud occasion, Hon’ble Vice Chancellor Dr. Indra Mani congratulated the scientists for his continuous efforts and hardwork. Dr. K.S.Baig, Director of Research & Dr. D.K. Patil said  the farming community for their unwavering trust in our research technologies and for adopting them successfully to achieve impressive yields.


Tuesday, April 29, 2025

एडीएम शाश्वत शेती उपक्रम अंतर्गत प्रशिक्षणार्थीना प्रशिक्षण कार्यक्रमाचे आयोजन

 कृषी तंत्रज्ञान व संवाद कौशल्याचा संगमातून येणाऱ्या खरीपात दिसेल सोयाबीनच्या उत्पादनात क्रांती - डॉ.बाबासाहेब ठोंबरे

कृषि महाविद्यालय लातूर, मांजरा कृषि विज्ञान केंद्र, लातूर आणि एडीएम यांच्या वतीने  कृषि विस्तार प्रशिक्षकांसाठी मांजरा कृषि विज्ञान केंद्र, लातूर येथे दिनांक २५ एप्रिल ते २७ एप्रिल २०२५ दरम्यान तीन दिवसीय निवासी प्रशिक्षण कार्यक्रम मोठ्या उत्साहात संपन्न झाला.

या प्रशिक्षण कार्यक्रमाचा उद्देश कृषी तंत्रज्ञान, एकात्मिक पीक व्यवस्थापन, आणि शाश्वत शेतीच्या तत्त्वज्ञानासंबंधी प्रशिक्षकांना अद्ययावत ज्ञान प्रदान करणे हा होता. खरीप हंगामच्या पूर्व तयारीच्या दृष्ठीने या प्रशिक्षण कार्यक्रमाचे अनन्य साधारण महत्व असून १ मे पासून पेरणी पूर्व कार्यशाळांचे आयोजन सुरू करण्यात येणार आहे. कार्यक्रमाचे उद्घाटन डॉ.बाबासाहेब ठोंबरे (अधिष्ठाता, कृषी महाविद्यालय, लातूर) यांच्या हस्ते झाले. कार्यक्रमाच्या अध्यक्षस्थानी डॉ.सचिन डिग्रसे, प्रमुख शास्त्रज्ञ, मांजरा कृषी विज्ञान केंद्र, लातूर हे होते. प्रमुख अतिथी म्हणून एडीएमचे वाणिज्य विभाग प्रमुख एम.बी.गाजरे व व्यवस्थापक अमोल धवन उपस्थित होते. उद्घाटन समारंभात मान्यवरांनी प्रशिक्षण कार्यक्रमाच्या महत्त्वावर आणि शेतकऱ्यांसाठी त्याचे दूरगामी परिणाम यावर प्रकाश टाकला. कार्यक्रमात कृषी क्षेत्रातील विविध तज्ज्ञांनी विविध महत्त्वाच्या विषयांवर मार्गदर्शन केले. पीक उत्पादन वाढीसाठी पिकाच्या प्रत्येक अवस्थेत जिवाणूंचे कार्य अत्यंत महत्त्वाचे असल्याचे सांगून शेतकऱ्यांनी जिवाणू संवर्धके व बायोमिक्सचा वापर करावा असे डॉ.कल्याण आपेट म्हणाले. तर संतुलित पीक पोषणासाठी जमीन हा सर्वात महत्त्वाचा मोठा घटक आहे. 'जमीन चांगली तर आपले आरोग्य चांगले' यासाठी शेतकऱ्यांनी जमिनीच्या शाश्वत सुपीकते कडे लक्ष द्यावे असे आवाहन डॉ.हरिहर कौसडीकर यांनी केले. आणि एकात्मिक पीक संरक्षणाचे महत्त्व सांगून निविष्ठा खरेदी करताना शेतकऱ्यांनी लेबल क्लेम वाचूनच खरेदी करावेत व त्याची पावती घ्यावी असे विचार डॉ.विजय भामरे यांनी व्यक्त केले. अधिक उत्पादनक्षम वाण, तण व्यवस्थापन, बी.बी.एफ पद्धतीने पेरणी, अन्नद्रव्य व्यवस्थापन व आपल्याकडील उपलब्ध पाणी व्यवस्थापन   याची एकत्रित सांगड घालणे गरजेचे आहे असे मत डॉ.वसंत सूर्यवंशी यांनी व्यक्त केले. शेतातील कामे अधिक जलद, सोपी, वेळेवर व परिणामकारक होण्यासाठी कृषी यांत्रिकीकरणाची आवश्यकता आहे असे डॉ.सचिन शिंदे यांनी सांगितले. डॉ.संजय राठोड, प्रा.संदीप देशमुख आणि प्रा.प्रवीण मताई यांच्याकडून बीजोत्पादन तंत्रज्ञान, एकात्मिक किड आणि रोग व्यवस्थापन, एकात्मिक पीक व्यवस्थापन, शाश्वत शेती तंत्रज्ञान, जलसंधारण उपाय आणि कृषी तंत्रज्ञानातील नव्या शोध यावर सखोल माहिती प्रदान केली. प्रशिक्षण कार्यक्रमाचा प्रमुख उद्देश कृषी विस्तारकांना आद्ययावत शेती पद्धती, संवाद कौशल्य आणि शेतीतील तंत्रज्ञानाचा योग्य वापर शिकविणे हा होता. यावेळी कार्यशाळा, गट चर्चा आणि प्रात्यक्षिके यासारख्या विविध शैक्षणिक पद्धतींचा वापर करून, प्रशिक्षकांना त्यांचे कौशल्य अधिक प्रभावीपणे वापरण्याची प्रेरणा देण्यात आली. कार्यक्रमाने प्रशिक्षकांना त्या ज्ञानाचा वापर शेतकऱ्यांपर्यंत पोहोचविण्यासाठी सक्षम केल्याचे डॉ.सचिन डिग्रसे यांनी सांगितले. कार्यक्रमाच्या समारोपात डॉ.बाबासाहेब ठोंबरे यांनी शेतीतील तंत्रज्ञानाच्या वापराबाबत विचार मांडले आणि शेतकऱ्यांसाठी ते कसे फायदेशीर ठरू शकते यावर प्रकाश टाकला. त्यांनी प्रशिक्षकांना शेतीच्या नव्या तंत्रज्ञानाचे महत्त्व सांगितले आणि त्याच्या माध्यमातून शेतकऱ्यांच्या जीवनात सकारात्मक बदल घडविण्याची आवश्यकता व्यक्त केली. या कार्यक्रमामुळे कृषी विस्तारकांना शाश्वत शेती आणि पर्यावरणपूरक तंत्रज्ञानाबद्दलचे अद्ययावत ज्ञान मिळाले. याचा प्रभाव लवकरच शेतकऱ्यांच्या उत्पादन क्षमता व पर्यावरणीयदृष्ट्या जबाबदार पद्धतींमध्ये दिसून येईल. सेवानिवृत्त सहायक वनसंरक्षक शिवाजी गिरी समारोप कार्यक्रमासाठी प्रमुख अतिथी म्हणून उपस्थित होते. या तीन दिवसीय कार्यशाळेच्या यशस्वीतेसाठी एडीएमच्या वतीने प्रा.आश्रुबा जाधव, सेवानिवृत्त वरिष्ठ संशोधक सहाय्यक यांनी नियोजन केले तर बिभीषण शिंगारे, दयानंद माने यांनी परिश्रम घेतले.


Friday, February 7, 2025

सावरगाव (हडप) येथे कापूस पिकाच्या उत्पादनवाढीसाठी विशेष शेतकरी मेळावा संपन्न

अधिक नफ्यासाठी विक्री व्यवस्थापनाची कला शेतकऱ्यांनी आत्मसात करावी... माननीय कुलगुरू प्रा. (डॉ.) इन्द्र मणि


भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदेच्या नागपूर येथील केंद्रीय कापूस संशोधन संस्था आणि खरपुडी (जालना) येथील कृषि विज्ञान केंद्र-१ यांच्या संयुक्त विद्यमाने विशेष कापूस प्रकल्पांतर्गत दिनांक ७ फेब्रुवारी रोजी कापूस पिकाच्या उत्पादनवाढीसाठी शेतकरी मेळाव्याचे आयोजन मौजे सावरगाव (हडप), जालना येथे करण्यात आले. या मेळाव्याचे उद्घाटन वसंतराव नाईक मराठवाडा कृषि विद्यापीठाचे माननीय कुलगुरू प्रा. (डॉ.) इन्द्र मणि यांच्या हस्ते संपन्न झाले. या कार्यक्रमाच्या अध्यक्षस्थानी मराठवाडा शेती सहाय्य मंडळाचे सचिव, कृषि रत्न माननीय श्री विजय अण्णा बोराडे उपस्थित होते. यावेळी विस्तार शिक्षण संचालक डॉ. गिरधारी वाघमारे, केंद्रीय कापूस संशोधन संस्थेचे संचालक डॉ. वाय. जी. प्रसाद, केंद्रीय कापूस संशोधन संस्थेचे संशोधन समिती सदस्य व सल्लागार श्री दादा लाड, कृषि उपसंचालक श्री कायंदे, विशेष कापूस प्रकल्पाचे नोडल अधिकारी डॉ. अर्जुन तायडे, शास्त्रज्ञ डॉ. सुनील महाजन, कृषि विज्ञान केंद्राचे प्रमुख डॉ. एस. व्ही. सोनुने आदींची प्रमुख उपस्थिती होती.

याप्रसंगी माननीय कुलगुरू प्रा. (डॉ.) इन्द्र मणि यांनी उद्घाटनपर भाषण करताना शेतीत आधुनिक तंत्रज्ञानाच्या वापराचे महत्त्व सांगितले. ते म्हणाले, "उत्कृष्ट शेतीमधूनच भविष्यातील विकसित भारताचे स्वप्न पूर्ण होईल. शेतकऱ्यांसाठी कार्य करण्याची ईश्वरीय शक्ती आपल्याला मिळालेली आहे. विद्यापीठ ‘शेतकरी देवो भव:’ या भावनेतून कार्य करत आहे." त्यांनी पुढे सांगितले की, शेतीमध्ये उत्पादकतेपेक्षा आर्थिक नफा किती झाला याकडे लक्ष द्यावे लागेल. तसेच, अधिक नफा मिळवण्यासाठी विक्री व्यवस्थापनाची कला शेतकऱ्यांनी आत्मसात करावी. महाराष्ट्रातील कृषि विकासासाठी दूरदर्शी धोरणे आवश्यक असून, कै. वसंतरावजी नाईक यांनी हवामान विभागानुसार चार कृषि विद्यापीठांची स्थापना करून शेती क्षेत्राला मोठी चालना दिली. त्यामुळे कृषि शिक्षण आणि मनुष्यबळाचा विकास घडून आला. कृषि शिक्षण क्षेत्राला उद्योगांशी जोडण्याची आवश्यकता असल्याचे त्यांनी प्रतिपादन केले.

या मेळाव्यात विविध मान्यवरांनी मार्गदर्शन केले. हा शेतकरी मेळावा अत्यंत यशस्वी झाला असून, शेतकऱ्यांनी या माध्यमातून कापूस शेतीबाबत महत्त्वाची माहिती आणि आधुनिक तंत्रज्ञानाबाबत मार्गदर्शन मिळवले.


Monday, February 3, 2025

माननीय कुलगुरू प्रा. (डॉ.) इन्द्र मणि यांची सोमनाथपूर कृषि संशोधन केंद्रास भेट: संशोधन विस्तारास महत्त्वपूर्ण दिशा

 

वसंतराव नाईक मराठवाडा कृषि विद्यापीठाच्या सोमनाथपूर (ता. उदगीर) येथील कृषि संशोधन केंद्राला माननीय कुलगुरू प्रा. (डॉ.) इन्द्र मणि यांनी दिनांक ३ फेब्रुवारी रोजी भेट दिली. या प्रसंगी विद्यापीठाचे संशोधन संचालक डॉ. खिजर बेग आणि  लातूर येथील गळीत धान्य संशोधन केंद्राचे प्रभारी अधिकारी डॉ. मोहन धुप्पे यांची उपस्थिती होती.

यावेळी माननीय कुलगुरूंनी करडई व ज्वार संशोधन प्रयोग तसेच हरभरा पिकाच्या बीजोत्पादनाची प्रत्यक्ष पहाणी केली. संशोधन केंद्राच्या अधिकाऱ्यांना मार्गदर्शन करताना त्यांनी संशोधनाच्या भविष्यातील दिशेबाबत महत्वपूर्ण सूचना केल्या. या केंद्राला गळीत धान्य संशोधन केंद्राशी सलग्न करून सूर्यफुल बियाणे उत्पादनासाठी 'सूर्यफुल सिड हब' उभारून शेतकऱ्यांना अधिकाधिक दर्जेदार बियाणे उपलब्ध करून द्यावे. केंद्रातील उपलब्ध जमिनीवर फळ पिकांची लागवड, याबरोबरच परिसरातील शेतकऱ्यांना लाभ होण्याच्या दृष्टीने भाजीपाला व फळपिकांच्या रोपवाटिकेची उभारणी करण्यास सांगितले.

प्रभारी अधिकारी श्री सुधीर सुर्यवंशी यांनी संशोधन केंद्रात सुरू असलेल्या विविध संशोधन प्रकल्पांची माहिती सादर करून मान्यवरांचे आभार मानले. माननीय कुलगुरूंच्या भेटीचे यशस्वी आयोजनसाठी  श्री भ. ह. कांबळे, श्री अमोल सुनेवाड, श्री चंद्रकांत चव्हाण आणि श्री वाघमारे यांनी विशेष परिश्रम घेतले.